रुद्रप्रयाग।। बीएड की फर्जी डिग्री से शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने वाले तीन शिक्षकों को अदालत ने पांच-पांच वर्ष की जेल और 10-10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। पुलिस अभिरक्षा में दोषियों को पुरसाड़ी जेल भेज दिया है। अदालत ने शिक्षा सचिव और गृह सचिव, उत्तराखंड सरकार को भी आदेश की प्रति भेजी है। अदालत का कहना है कि तत्कालीन विभागीय अधिकारियों ने बीएड की डिग्री का सत्यापन किये बिना दोषियों को नौकरी दी है।
साथ ही शिक्षकों के स्थायीकरण के साथ बाद में पदोन्नति के दौरान भी इस संबंध में कोई गंभीरता नहीं बरती गई। वर्ष 2005 से 2009 के बीच चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री प्राप्त कर महेंद्र सिंह, मोहन लाल और जगदीश लाल को अलग-अलग वर्षों में शिक्षा विभाग में प्राथमिक सहायक शिक्षक की नौकरी मिली। वर्ष 2017-18 में शिकायत मिली कि जिन शिक्षकों द्वारा चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ से बीएड की डिग्री प्राप्त की गई है, उसमें कई की डिग्री फर्जी हैं। इस पर, शिक्षा विभाग ने एसआईटी से जांच कराई, जिसमें उक्त तीन शिक्षकों की बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई। विभाग ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तीनों शिक्षकों को पहले निलंबित और बाद में बर्खास्त कर दिया गया। साथ ही कानूनी कार्रवाई के तहत आरोपी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने जांच पूरी कर केस जिला न्यायालय में पेश किया। इधर, बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने बीएड की फर्जी डिग्री के मामले में तीनों शिक्षकों को दोषी पाते हुए पांच-पांच वर्ष की जेल और 10-10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। जनपद रुद्रप्रयाग में बीएड की फर्जी डिग्री के मामले में अभी तक अदालत से 15 शिक्षकों को सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें तीन शिक्षक जूनियर हाईस्कूल और 12 शिक्षक प्राथमिक विद्यालय के हैं। बता दें कि जिले में बीएड की फर्जी डिग्री से नौकरी प्राप्त करने वाले कुल 23 शिक्षक चिह्नित किए गए हैं।
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